ख्वाहिशो की उड़ान को समज पाना मुश्किल है...
यहाँ इन्सान इन्सान को समज नहीं पता ....
ये तो बस ख्वाहिशो की उड़ान है....
जहा रोज़ इन्सान अपनी ही ...
उम्मीदों के पर काटने को मजबूर है ...
ये तो बस ख्वाहिशो की उड़ान है...
ख्वाहिशो की उड़ान को समज पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है..
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