ये खामोशी का सिलसिला ......
कहना तो बहुत कुछ चाहती हु तुमसे ...
पर वक़्त है कि साथ नहीं दे रहा...
मै कभी वक़्त कि खामोशी में खामोश हु ...
तो कभी मुझे तुम्हारी खामोशी ने कुछ कहने न दिया ...
ये खामोशी का सिलसिला ......
कहना तो बहुत कुछ चाहती हु तुमसे ..
पर वक़्त है कि साथ नहीं दे रहा ...
बस अब इंतजार है मुझे उस लम्हे का ..
जब वक़्त करवट बदलेगा और खामोशी भी मुस्कुराएगी ...
श्रुति मेहेंदले 10th अगस्त 2009
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