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Shelfari: Book reviews on your book blog

Saturday, March 20, 2010

ये खुदा कि इनायत है .....

ज़िन्दगी के सफ़र में...
इत्तफाकन तुमसे मिलना ....
ये खुदा कि इनायत है ..
इसे दुआ समज कबूल है मैने किया ...
रोज़ सजदा है करते...
खुदा को ...
इस इनायत के चलते ...
गम नहीं की....
 कुछ दूरिय है नसीब में पर...

ये फासले क्यों है दरमीया हमारे ...
हर लम्हा फासले का ...
ख्याल रखना ..
इतना न बढ़ जाए ..
की हम तुम ..
फिर से अजनबी न बन जाए 




श्रुति मेहेंदले 19th मार्च 2010 




Welcome to Sentiments

When we connect to any one it is the Sentiments we have with each other that is reflected