तुम जैसी भी थी ,थी तो मेरी माँ ...
आज तुम इस जहा में नही तो क्या ..
तुम्हारी जगह कोई नहीं ले सकता ...
आज जब मुड़ के पीछे देखती हू तो ...
वो तेरी छोटी छोटी बाते याद आती है ...
अब उन छोटी छोटी बातो के लिए भी तरसना ..
कभी तो तुमसे हर बात पे बहस करके लड़ना ...
आज उस पलो को फिरसे जीने के लिए तरसना ..
जो कभी मुझको तुम्हारा टोकना लगता था ...
आज उस टोकने को भी तरस गई हू ...
सोचा कि ये क्या बताने वाली बात है पर ...
आज गम इस बात का है कभी तुझसे कहा नहीं की ...
तुझसे कितना प्यार करती हू ..
श्रुति मेहेंदले 29th अगस्त 2010