ये सफ़र इक नया सा ....
कुछ लोग अपने से तो कुछ पराये से ....
ये राहे भी अब नयी सी .....
कुछ तो जानी सी और कुछ अनजानी सी ...
ये निघाहे मंजिल को तलाशती ......
कुछ पास आती तो कुछ ओझल होती ....
सफ़र तो चलने का नाम है ....
ये हमसफ़र का ही पता नहीं.....
1 comment:
bahut hi sundar safar hai.......bahut bahut badhaaee
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