छोटी सी है ज़िन्दगी ...
फिर भी जाने क्यों लोग...
हाथ पे हाथ धरे ...
वक़्त कब करवट बदलेगा ....
इसका इंतजार करते है...
वक़्त अभी है आज जी लो ..
हर खवाहिश जो पूरी कर सको कर लो ...
कल किसने देखा है ....
फिर सिर्फ हाथ से वक़्त...
के फिसलने का गम रह जाएगा ...
बीता वक़्त न कभी लौटा है ना कभी लोटेगा ...
श्रुति मेहेंदले 10th सितम्बर 2009
फिसलता