My Shelfari Bookshelf

Shelfari: Book reviews on your book blog

Thursday, September 10, 2009

हाथ से फिसलता वक़्त...


छोटी सी है ज़िन्दगी ...
फिर भी जाने क्यों लोग...
हाथ पे हाथ धरे ...
वक़्त कब करवट बदलेगा ....
इसका  इंतजार करते है... 

वक़्त अभी है आज जी लो ..
हर खवाहिश जो पूरी कर सको कर लो ...
कल किसने देखा है ....
फिर सिर्फ हाथ से वक़्त...
के फिसलने का गम  रह जाएगा ...

बीता वक़्त न कभी लौटा है ना कभी लोटेगा ... 
श्रुति मेहेंदले  10th सितम्बर  2009
फिसलता

Wednesday, September 9, 2009

भरोसा है उम्मीद पे,दुनिया इसी पे कायम है ..

ना जाने क्यों हम भी ...
खुले रखते है दिल के किवाड़ ....
चाहते है अपने प्यार को बसाना इसी दिल के घरोंदे में ....
भरोसा है उम्मीद पे, दुनिया इसी पे कायम है ....


ना जाने क्यों हम भी...
समज न  पाते कि जिसको माना है प्यार  ...
क्या वो बसायेगा बसेरा इस दिल के घरोंदे में ........
भरोसा है उम्मीद पे, दुनिया इसी पे कायम है ....

ना जाने क्यों हम भी..
चाहतो के पर लगाके उड़ते है जबकि हकीकत में..
 मुमकिन नहीं सभी ख्वाहिशे पूरी होना फिर भी........
भरोसा है उम्मीद पे,दुनिया इसी पे कायम है ..


फिर मै तो एक छोटी सी जान हु......


श्रुति मेहेंदले 9th सितम्बर 2009       

बस एक एहसास है जो......



जाने कैसे तुम से मुलाकात हुई और....... 

बस  एक  एहसास  है  जो,
अब  तो  दस्तक  दे  के  बस  गया  है,
जाने क्यों इस दिल में 

जाने कैसे तुमको ये दिल दे बैठे और....
बस  एक  एहसास  है  जो, 
अब  तो  मिटाए  ना  मिटे,
जाने क्यों इस दिल से 

जाने कैसे तुमसे एक कशिश सी  है और .........
बस  एक  एहसास  है  जो ,
अब  तो  समझाए  ना  समझे,
जाने क्यों इस दिल को  

जाने कैसे तुम में ज़िन्दगी उलझ सी गई है और.......
बस  एक  एहसास  है  जो ,
अब  इस  उलझन  में  भी  सुकून  है  पता ,
जाने क्यों इस दिल में 

श्रुति मेहेंदले  9th  सितम्बर 2009

ज़िन्दगी में कभी मुड़ के देखोगे तो...



जब हम मिले थे तो .....
साथ ना चलते हुए भी एक दुसरे के साथ थे ....

ना जाने कब पता ही नहीं चला ...
तुम न जाने क्यों आगे निकल गए .....

कभी तो बीते दर्द को याद करके ....
तो कभी आने वाले दर्द के एहसास से ...

तुम इस दर्द के बहाने मुझे भुलाना चाहो....
शायद ये मुमकिन भी हो .....

लकिन ज़िन्दगी में कभी मुड़ के देखोगे तो .....
मुझे ज़रूर इंतज़ार करते पाओगे ....

ये पयार ना होगा कम....
क्योंकि मैंने प्यार शर्तो पे नहीं किया .....  


श्रुति मेहेंदले  27th अगस्त 2009

Friday, September 4, 2009

ज़िन्दगी हर वक़्त इम्तिहान है लेती ......



ज़िन्दगी भी एक कशमकश है पहेलियों की ...
जाने क्यों हर वक़्त इम्तिहान है लेती ....

ज़िन्दगी ना जाने क्यों है पहेलियों का पिटारा ..
कभी रिश्तो की अनचाही पहेली तो ...
कभी समाज के खोखले रिवाजों की पहेली....

ज़िन्दगी ना जाने क्यों अक्सर इम्तिहान है लेती ...
तुम भी एक पहेली हो मेरी ज़िन्दगी की ...
जान क्या तुम भी लोगे मेरा इम्तिहान ....

Thursday, September 3, 2009

जाने क्यों लगता है तुम मेरे हो....


तुम मेरे हो,जाने क्यों फिर भी मेरे नहीं ....

जाने क्यों तुम ज़िन्दगी की ख़ुशी हो,
जाने क्यों फिर भी तुम मेरे नहीं ....

जाने क्यों तुम से है डोर जुडी ,
जाने क्यों फिर भी तुम मेरे नहीं ...

जाने क्यों तुम से है एक रिश्ता,
जाने क्यों फिर भी तुम मेरे नहीं ....

जाने क्यों लगता है तुम मेरे हो,
जाने क्यों फिर भी तुम मेरे नहीं....

क्या सच में तुम हो मेरे ?

Welcome to Sentiments

When we connect to any one it is the Sentiments we have with each other that is reflected