My Shelfari Bookshelf

Shelfari: Book reviews on your book blog

Sunday, August 30, 2009

माँ जिसको मै मम्मा कहती..


माँ जिसको मै मम्मा कहती...

याद तो हमेशा करती हु तुमको ...

पर आज 29.8.2009 है कुछ खास ......

जनम दिन जो है तेरा आज ...


पता है मुझे की तू वापस नहीं आ सकती ...

ऐसे सफ़र पे चली गई है ...

जहा से कोई मुसाफिर मुड़ के ना आ सका ....


याद तो हमेशा करती हु तुमको मम्मा....


बस इस बात का सकून है की....

जिस सफ़र पे चली गई तुम उस सफ़र में

उस दर्द ( कैंसर ) से है तुझको छुटकारा ....


याद तो हमेशा करती हु तुमको मम्मा....


2 comments:

रज़िया "राज़" said...

आपकी ये रचना मेरे ज़ख्मों को ताज़ा कर गई। दर्द भरी, दिल के लिखी रचना।

Shadows of life said...

Beautifully expressed.

Welcome to Sentiments

When we connect to any one it is the Sentiments we have with each other that is reflected