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Shelfari: Book reviews on your book blog

Sunday, August 30, 2009

माँ जिसको मै मम्मा कहती..


माँ जिसको मै मम्मा कहती...

याद तो हमेशा करती हु तुमको ...

पर आज 29.8.2009 है कुछ खास ......

जनम दिन जो है तेरा आज ...


पता है मुझे की तू वापस नहीं आ सकती ...

ऐसे सफ़र पे चली गई है ...

जहा से कोई मुसाफिर मुड़ के ना आ सका ....


याद तो हमेशा करती हु तुमको मम्मा....


बस इस बात का सकून है की....

जिस सफ़र पे चली गई तुम उस सफ़र में

उस दर्द ( कैंसर ) से है तुझको छुटकारा ....


याद तो हमेशा करती हु तुमको मम्मा....


इंतजार के भी अपने दो पहलु है ....



इंतजार के भी अपने दो पहलु है ....
एक उम्मीद का तो दूसरा दर्द का ....

इंतजार की हद तो तब है जब ....
उम्मीद दामन छुडाने की कशमकश में हो और ...
तुम दर्द की चादर में लिपटे उम्मीद का दामन थामे रहो ....

इंतजार की इन्तहा तो तब है जब ....
उम्मीद ने दम तोड़ दिया है और....
तुम दर्द की चादर में लिपटे फिर भी इंतजार करो ....

इंतजार में हम दर्द के नशे में डूब....
नाउमीद से भी उम्मीद की अपेक्छा करते है ....

Saturday, August 29, 2009

बस इसे इमानदारी से निभाने की ज़रूरत है......

प्यार शर्तो का मोहताज नहीं ...
बस इसे इमानदारी से निभाने की ज़रूरत है...

ये एक एहसास है जो बस हो जाता है ....
जिसको किसी की मंजूरी की इजाज़त नहीं ...

प्यार तो सिर्फ एक इबादद है...
जब किसी से होता है तो ....
बिना किसी शर्त के होता है ....

इस बात को समझने के लिए ...
ज़रूरी है की किसी से आप खुद ...
बिना शर्त प्यार करो ....
भले वो किसी से भी हो ......

प्यार शर्तो का मोहताज नहीं ...
बस इसे इमानदारी से निभाने की ज़रूरत है.....

Monday, August 24, 2009

एक सुकून की ज़िन्दगी को तरसती नारी ....



एक सुकून की ज़िन्दगी को तरसती नारी ..
जिसकी अपनी ही व्यथा है न्यारी ...
रोज़ मरती है और रोज़ जीती है ...

कभी तो इस पुरुष प्रधान समाज में ...
अपने ही वजूद को साबित करने की..
जदोजहद में ...

कभी तो घर की चौखट के अन्दर ...
अपने ही अस्तित्व को समेटने की ...
कशमकश में

व्यथा और भी गंभीर होती है ...
जब नारी ही नारी को परखती है ...
अपनी ही अलग अलग कसौटी पर ...

जाने कब ये सिलसिला ख़त्म होगा...
रोज़ मरने का और रोज़ जीने का ....

एक सुकून की ज़िन्दगी को तरसती नारी ...
श्रुति मेहेंदले 

Thursday, August 20, 2009

ख्वाहिशो की उड़ान को समज पाना मुश्किल है..

ख्वाहिशो की उड़ान को समज पाना मुश्किल है...

यहाँ इन्सान इन्सान को समज नहीं पता ....
ये तो बस ख्वाहिशो की उड़ान है....
जहा रोज़ इन्सान अपनी ही ...
उम्मीदों के पर काटने को मजबूर है ...
ये तो बस ख्वाहिशो की उड़ान है...

ख्वाहिशो की उड़ान को समज पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है..

Wednesday, August 19, 2009

ये सफ़र इक नया सा ...

ये सफ़र इक नया सा ....
कुछ लोग अपने से तो कुछ पराये से ....

ये राहे भी अब नयी सी .....
कुछ तो जानी सी और कुछ अनजानी सी ...

ये निघाहे मंजिल को तलाशती ......
कुछ पास आती तो कुछ ओझल होती ....

सफ़र तो चलने का नाम है ....
ये हमसफ़र का ही पता नहीं.....

Monday, August 17, 2009

कुछ अपने - कुछ पराये

कुछ अपने रिश्ते इस जनम के....
ना चाहते हुए भी कुछ पराये से .....
कुछ बेगाने रिश्ते जन्मो के .....
ना चाहते हुए भी अपने से.....


कुछ बंधन इस जनम के....
ना चाहते हुए भी कुछ पराये से....
कुछ अनजाने से बंधन जन्मो के....
ना चाहते हुए भी अपने से .....

Saturday, August 15, 2009

कुछ मीठी सी यादे है दिल में .....

कुछ मीठी सी यादे है दिल में ......
वो तुम्हारा आचानक से ज़िन्दगी में आना ..
फिर उस ना समज आने वाले अहसास का आना ...

कुछ मीठी सी यादे है दिल में ....
वो जिसको दोनों ने महसूस किया उस अहसास का आना ..
फिर उस ना समज आने वाले रिश्ते का आना ...

कुछ मीठी सी यादे है दिल में .....
वो एक दुसरे से बिना बात जुड़ने के अहसास का आना ..
फिर उस ना समज आने वाले अपनापन का आना ...

कुछ मीठी सी यादे है दिल में .....
वो घंटो एक दुसरे से बात करने की चाहत का आना ...
फिर उस ना समज आने वाली चाहत का आना ...

कुछ मीठी सी यादे है दिल में .....

Friday, August 14, 2009

ज़िन्दगी में

ज़िन्दगी में
कुछ लोग दिल के पास होते है ...
जाने क्यों वो कुछ खास होते है ...

ज़िन्दगी के
कुछ लम्हे दिल के पास होते है ..
जाने क्यों वो कुछ खास होते है ...

ज़िन्दगी की
कुछ बाते दिल को छु लती है ...
जाने क्यों वो कुछ खास होती है ....




Thursday, August 13, 2009

जाने कोई समज पायगा की नहीं ....

आज कल की भागती दुनिया में इंसानों के पास वक़्त कहा ......

जहा इन्सान की सिस्किय्यो की कीमत नहीं ...
ये दिल की गहराही से लिखे शब्दों की सिसकिया है .....
जाने कोई समज पायगा की नहीं ....


जहा इंसानियत की कीमत नहीं ....
ये तो फिर एक जज़्बात है दिल के ...
जाने कोई समज पायगा की नहीं ...


आज कल की भागती दुनिया में इंसानों के पास वक़्त कहा ......

Monday, August 10, 2009

तुमको कैसे समझाए की .....

तुमको कैसे समझाए की .....
जो तुमने ज़िन्दगी में बुरा वक़्त देखा था वो सच है ....
 लेकिन ये भी एक सच है की हर वक़्त एक जैसा नहीं होता..

तुमको कैसे समझाए की .....
हो सकता है तुमको ज़िन्दगी में गम मिले हो लोगो से ....
लेकिन ये भी एक सच है की हर इन्सान एक सा नहीं होता ...

तुमको कैसे समझाए की .....
जब दो लोगो को तकदीर मिलाती है तो कुछ खास होता है. ..
लेकिन ये भी एक सच है की एसा नसीब हर एक का नहीं होता .....

तुमको कैसे समझाए की ....
हम दोनों को तकदीर ने मिलाया है कुछ खास है ये ....
लेकिन ये भी एक सच है की इस बात को हम दोनों भी महसूस करे ....

तुमको कैसे समझाए की ......
रिश्ते सयोग से बनते है ज़िन्दगी में जो दिल के बहुत करीब होते है ...
लेकिन ये भी एक सच है की सभी इसको संजो के रख सके ये ज़रूरी नहीं .....

तुमको कैसे समझाए की .....
कभी कभी कुछ रिश्ते ऐसे भी होते है जिनका कोई नाम नहीं होता ...
लेकिन ये भी एक सच है की इन रिश्तो को निभा पाना हरेक की बस में नहीं ....


तुमको कैसे समझाए की ......

तुमसे कैसे कहे कि ......


तुमसे कैसे कहे कि ....
तुम मेरे क्या हो.....
तुमसे कैसे कहे कि ...
तुम को क्यों दिल आपना माने ....
तुमसे कैसे कहे कि .....
तुम से ही क्यों दिन शरू होता है ....
तुमसे कैसे कहे कि ....
तुम खुश रहो मेरी यही दुआ है ...

खुद को कैसे समझाए कि ........




खुद को कैसे समझाए कि ....

ना खुद पे चले जो़र कोई ......

ना चले तुम पे कोई जो़र....



खुद को कैसे समझाए कि  ......

तुम तो आपना मान चुके उनको ....

तुमको भी आपना माना है उसने .......



खुद को कैसे समझाए कि  .....

जो अपनापन महसूस किया दोनों ने .....

वो अपनापन आब क्यों नहीं दोनों में ....



खुद को कैसे समझाए कि  .......

मै तो नहीं बदली न मेरे एहसास ...

जाने क्यों बदले से एहसास है उनके ...



खुद को कैसे समझाए कि  ......

जब दिल से दिल जुड़ते है तो एक सा एहसास होता है ....


वक़्त के साथ क्यों बदल जाते है ये दिल के एहसास ....

खुद को कैसे समझाए कि ....

श्रुति मेहेंदले  6th अगस्त 2009   

यु तो ज़िन्दगी में कोई कमी नहीं.......



यु तो ज़िन्दगी में कोई कमी नहीं.......
कमी है तो सिर्फ तुम्हारी ......
क्यों नहीं तुम मेरी ज़न्दगी में ....


यु तो ज़िन्दगी में कोई गम नहीं .......
गम है तो सिर्फ तुम्हारा ना होना .....
क्यों नहीं हो तुम मेरे आपने .......


यु तो ज़िन्दगी से कोई शिकवा नहीं ......
शिकवा है तो सिर्फ तुम से .......
क्यों नहीं समझते तुम दिल की बात ....


यु तो ज़न्दगी से कोई शिकायत नहीं ....
शिकायत है तो सिर्फ तुम से ....
क्यों नहीं कहते तुम आपने दिल कि बात ...


यु तो ज़न्दगी में कोई चाहत नहीं ....
चाहत है तो सिर्फ तुम से ....
क्यों नहीं हु मै तुम्हारी चाहत .....

श्रुति मेहेंदले  7th अगस्त 2009 

जाने तुम में क्या बात है .....

जाने तुम में क्या बात है .....

तुम कितना ही दूर जाने कि कोशिश करो ....

लकिन फिर भी दिल के मेरे करीब हो ...




जाने तुम में क्या बात है ..

जितनी चाहत है तुमसे ....
उस से ज्यादा तुमसे जुड़े रहने कि चाहता है ....



जाने तुम में क्या बात है ...
तुम से ये जो बेनाम रिश्ता है बना मेरा
दिल कहता है कि हर हाल में ये रिश्ता है निभाना .....


जाने तुम में क्या बात है ...

श्रुति मेहेंदले 10th अगस्त 2009   

ये खामोशी का सिलसिला ......





ये खामोशी का सिलसिला ......
कहना तो बहुत कुछ चाहती हु तुमसे ...
पर वक़्त है कि साथ नहीं दे रहा...
मै कभी वक़्त कि खामोशी में खामोश हु ...
तो कभी मुझे तुम्हारी खामोशी ने कुछ कहने न दिया ...

ये खामोशी का सिलसिला ......
कहना तो बहुत कुछ चाहती हु तुमसे ..
पर वक़्त है कि साथ नहीं दे रहा ...
बस अब इंतजार है मुझे उस लम्हे का ..
जब वक़्त करवट बदलेगा और खामोशी भी मुस्कुराएगी ...

श्रुति  मेहेंदले 10th अगस्त 2009


Welcome to Sentiments

When we connect to any one it is the Sentiments we have with each other that is reflected