ज़िन्दगी के काँरवा में कई मोड़ आये .....
और हम उनसे गुज़रते गये .....
इत्तफाक कि बात है .....
जिस मोड़ पे तुमसे रूबरू हुए ....
हमारे कदम वही थम गये ....
जैसे मुसाफिर को अपनी मंजिल मिल गई ...
श्रुति मेहेंदले 21st जनुअरी 2010
समय के साथ कहते है ....
तस्वीर कुछ धुन्दला जाती है..
कुछ अनजाने डर के साथ ....
मैंने मन के झरोके में झाका ....
जहा सहेज के राखी है ..
तुम्हारी तस्वीर ...
तो अब भी तुम्हारी साफ़ ...
तस्वीर ने पलट के देखा .....
मानो पूछ रही हो ...
क्या यकी नहीं .....
अपने प्यार पे ...
कुछ न कह सकी ...
बस एक टक निहारती रही ...
तुम्हारी तस्वीर ...
श्रुति मेहेंदले 16th जनुअरी 2010
क्यों देता है सुकून ..
कही किसी कोने में...
इस मन के ..
अब भी है यकीन ...
आएगे वो कदम लौट के ...
खुले है अब भी...
मन के द्वार ...
दे रही है दस्तक खुशिया ....
सुन के उन कदमो कि आहट ...
श्रुति मेहेंदले 14th जनुअरी 2010
कभी तो खुदा से तो कभी जान तुम से ...
कभी तो है मिली ख़ुशी तो कभी है मिले गम ..
इसी बात को लेके कभी सुकू है तो कभी शिकायत ...
इस कशमकश में हु कि ....
क्या तुमसे कहू तो क्या खुदा से ...
तुमको पा कर भी है...
तुमसे दूरिया...
वक़्त का है ये कैसा खेल ...
जाने क्यों फिर भी ....
यकी है मुझे....
कुछ अपने खुदा पे ...
तो कुछ अपने प्यार पे ....
श्रुति मेहेंदले 15th जनुअरी 2010
तुमसे है मेरा रूह का रिश्ता ....
तुम इस बात से इतफ्फक ना भी रखो ...
तो भी इस बात को झुटला नहीं सकते ...
रूह ने रूह को है पहचाना ...
तुमको पाना ये खवहिश नहीं मेरी ...
बस तुमसे एक रूहानी रिश्ता है ..
जाने क्यों इन दूरियों ने भी ...
लेना चाहा इम्तिहान फिर भी ...
बस एक कशिश सी है तुमसे ....
जाने कबसे है ये सिलसिले चाहत के ...
जो न ले मिटने का नाम ...
अब तो बस यही है दुआ ...
बना राहे ये खूबसूरत रूह का रिश्ता ...
फिर ना टूट ये डोर दिलो कि ...
चाहे हो दूरिया दरमिया हमारे ..
पर मन में न हो फासले हमारे ....
श्रुति मेहेंदले 14th जनुअरी 2010
Welcome to Sentiments
When we connect to any one it is the Sentiments we have with each other that is reflected