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Sunday, February 13, 2011

वक़्त के हातो मजबूर ...


ज़िन्दगी वैसे ही एक पहेली है ...
जिसको सुलझाने में इंसान ....
वक़्त बे वक़्त कोई इम्तिहान...
देने में लगा रहता है ...
सिवाय हेरान और परेशान होने के
करे तो क्या करे ..

फिर उसमे आ जा के ...
रिश्तो के अनसुलझे  तार ...
जिनको सुलझाने  में वक़्त के हातो ....
मजबूर एक कठपुतली कि सी  ...
ज़िन्दगी गुजार रहा इंसा ...
सिवाय हेरान और परेशान होने के
करे तो क्या करे ..

ऐसे में गर इश्क हो जाये तो ....
बावरे मन को कोई क्या समझाए कि
ज़रूरी नहीं कि मन जो चाहेगा वो ...
उसको मिल ही जायेगा फिर ....
सिवाय हेरान और परेशान होने के
करे तो क्या करे ..

ज़िन्दगी न जाने क्या क्या दिखलायगी ...
तुम हम तो बस एक कठपुतली है  ...
जो वक़्त के हातो मजबूर है ...
सिवाय हेरान और परेशान होने के
करे तो क्या करे ..

श्रुति मेहेंदले 13th फेब्रुअरी  2011

Welcome to Sentiments

When we connect to any one it is the Sentiments we have with each other that is reflected