तुम क्या आये ज़िन्दगी में कि...
कुछ ज़िन्दगी का रुख ही बदल गया ....
जाने अनजाने ही सही कभी सोचा ना था...
कि इतनी शीदत्त से किसी को अपना मानेगे ....
जिस तरह तुमको माना है अपना ...
तुमने वो भी सिखा दिया ....
ये रिश्ता जो हमारा है वक़्त ने अपनेआप बनाया है ...
ये दिल से जुडी बात है इसे ना तुम झुटला सकते हो न मै...
ये वही समझ पायेगा जो इस दौर से गुज़रा है ...
कोई यकी करे या न करे उम्मीद सिर्फ तुम से है ...
कि तुम तो इस बात को ना झुठलाओ ...
जहा एक ख्याल भी तुमसे अलग होने का ...
जहा एक ख्याल भी तुमसे अलग होने का ...
दिल में एक दर्द का गुबार उठता है ....
वही तुम न जाने कैसे सरलता से ...
अलग होने कि बात कह जाते हो....
माना कि ज़िन्दगी में हमारे रस्ते है अलग...
मगर फिर भी दिल को तो दिल से राह है ....
तो फिर हम या तुम क्यों इस बात से इनकार करे ...
ये रिश्ता वक़्त के साथ साथ अपनेआप जी लेगा ...
जान तुम इसे जीने तो दो.........
श्रुति मेहेंदले 13th ओक्टुबर 2009
1 comment:
तुम क्या आये ज़िन्दगी में कि...
कुछ ज़िन्दगी का रुख ही बदल गया ....
जाने अनजाने ही सही कभी सोचा ना था...
कि इतनी शीदत्त से किसी को अपना मानेगे ....
जिस तरह तुमको माना है अपना ...
तुमने वो भी सिखा दिया ....
एक भावुक दिल की पुकार ....पढ़ कर दिल पिघल गया
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