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Sunday, October 4, 2009

ख़ुशी अधूरे ख्वाब कि जो जी रही हु..



ख़ुशी अधूरे ख्वाब कि जो जी रही हु....
जानती हु कि ये ख्वाब न होगे पुरे ....
पर इस ख्वाब को अधुरा ही जीना चाहती हु ....

किसी को इस कदर मानोगे अपना....
कि वो जीवन में तुम्हारे लिए अधुरा ही सही ..
लेकिन फिर भी पूर्णता का अहसास दे ...

मैंने जान लिया है कि कुछ ख्वाब होते है अधूरे ....
उनको अधूरे ही जी लेना चाहिए ...
दिल को एक सुकून का एहसास होता है ..

जानती हु मन में एक डर का एहसास भी होता है ...
कि कही ये ख्वाब अधूरे ही सही पर टूट ना जाये ...
ख्वाब कोई भी हो टूटने पर दर्द का एहसास तो होता है ....

खुदा महफूज़ रखे इन ख्वाबो को ....
क्योंकि कभी कभी अपनी ही नज़र लग जाती है ....
अपने ही ख्वाबो को पिर वो अधुरा सा ही क्यों ना हो  .....


अधूरे ख्वाब है जो जी रही हु लकिन सच में खुश हु ....


श्रुति मेहेंदले  3rd ओक्टुबर  2009  



4 comments:

के सी said...

खूब लिखा है खुदा महफूज़ रखे आपकी कलम को भी

Unknown said...

धन्यवाद Kishore आपके प्रोत्साहन का .....
इसी वजह से कोशिश जरी है लिखने कि वर्ना हम में ये कला कहा ....

श्रुति मेहेंदले

monali said...

likhti rahiyega...

Unknown said...

मोनालीजी ज़रूर, आपकी रचनाये प्रेरणा स्त्रोत है....

Welcome to Sentiments

When we connect to any one it is the Sentiments we have with each other that is reflected