कभी कभी किसी का ज़िन्दगी में आना
एक अजीब सा सुकून देता है ....
और ना चाहते हुए भी....
एक बेनाम सा रिश्ता बन जाता है ...
भले ही समाज के लिए....
रिश्तो का नाम होना ज़रूरी है ...
पर दिल के रिश्ते समाज के मोहताज नहीं ....
जब भी किसे से जुड़ गया तो .....
जन्मो तक नहीं टूटते ....
कभी कभी तो खून के रिश्ते भी फीके पड़ जाते है ...
इन दिल के रिश्तो के सामने ....
श्रुति मेहेंदले 13th ओक्टुबर 2009
श्रुति मेहेंदले 13th ओक्टुबर 2009
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