है उस सफ़र पे निकल पड़े ...
जिसकी मंजिल का पता नहीं ....
जाने कब वक़्त करवट बदल ले ....
इसी ख्याल से जो ना सोचा था...
वो भी कर गुज़रे है हम इस मुकाम पे ....
सफ़र हर पल है बदल रहा ज़िन्दगी का...
चाहो ना चाहो फिर भी ज़िन्दगी में ....
कभी ख़ुशी है तो कभी गम ....
कुछ लम्हों कि ख़ुशी जीने के लिए ही सही ...
ज़िन्दगी को खुशगवार है हमने किया ....
अब चाहे सामने गम ही क्यों ना हो ....
उसे भी जी लेगे ख़ुशी ख़ुशी ...
श्रुति मेहेंदले 10th ओक्टुबर 2009
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