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Tuesday, November 3, 2009

बस ये मेरे अपने अहसास है ये जिसे जी रही हु ...

ज़िन्दगी के नित नए रूप ....
कुछ न कुछ हमको है सिखाती  ...


जब मैंने सोचा कि ज़िन्दगी में भला अब क्या बदलाव आयेगा ....
तो ज़िन्दगी का रुख ही बदल गया ...
प्यार के एक और पहलु से रूबरू होने का अहसास हुआ  ...
बेइन्तिहः किसी को चाहना और फिर इस चाहत के साथ जीना ....
बस ये मेरे अपने अहसास है जिसे जी रही हु ...


ज़िन्दगी के नित नए रूप ....
कुछ न कुछ हमको है सिखाती  ..


सोच में हु कि क्या नाम दू मै इस रिश्ते को ....
क्योंकि ज़माना ऐसे बेनाम रिश्ते नहीं समझता...
लकिन ज़िन्दगी मे कुछ रिश्ते ऐसे भी होते है .....
जिनका कोई नाम नहीं फिर भी दिल के करीब होते है ...
बस ये मेरे अपने अहसास है जिसे जी रही हु ..


ज़िन्दगी के नित नए रूप ....
कुछ न कुछ हमको है सिखाती  ...


भाला किसी को क्या समझाऊ ये रिश्ता ....
ये मेरे अपने है मुझे किसी को समझाने की...
या किसी की अनुमति कि आवशकता नहीं ....
और जाने क्यों इस बात में मुझे एक सुकून सा है ...
बस ये मेरे अपने अहसास है जिसे जी रही हु ....


ज़िन्दगी के नित नए रूप ....
कुछ न कुछ हमको है सिखाती...


ऐसा नहीं की ज़िन्दगी से शिकायत नहीं ....
अपनेआप से ही जानने की कोशिस में निराश से मुलाकात होती है ...
जानती हु की खुदा भी मेरा इम्तिहान जो ले रहा है ...
सोचा एक इम्तिहान ये भी सही एक नया तजुर्बा ये भी सही ...
बस ये मेरे अपने अहसास है जिसे जी रही हु ...


ज़िन्दगी के नित नए रूप ....
कुछ न कुछ हमको है सिखाती....


ज़िन्दगी के दोराहे से अकेले गुज़र रही हु....
फिर भी एक सुकून है जानती हु कि जो फे़सले है किये...
अपनों से कुछ दुरिया है निभानी फिर भी दिल में फासले नहीं...
दिल कि दुविधामंस्थिति में भी खुश हु ...
बस ये मेरे अपने अहसास है जिसे जी रही हु ....


इसलिए "इस वक़्त को" " इन पालो को" बस जीना चाहती हु...




श्रुति मेहेंदले 20th ओक्टुबर 2009


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