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Sunday, November 8, 2009

काश गुज़ारा होता कुछ वक़्त अपनों के साथ भी ...

जिंदगी कि रफ़्तार में न जाने क्यों गुम से हो गये ...
और फिर चाह के भी मिल न सकी अपनों से ...
वक़्त ने यू मौत का तमाचा है मारा ...
की ज़िन्दगी भर अफ़सोस रहेगा कि ...
अपनों के साथ वक़्त न बिता सकी ...
जब तक इंसा जिंदा है मिलने की उम्मीद तो होती है ....
जब छोड़ गये ये जहा तो उम्मीद का सहारा भी है छूट जाता ....
किसी के जाने के बाद है होता एहसास ...
की काश गुज़ारा होता कुछ वक़्त अपनों के साथ भी ...
अब तो दिल की बात दिल में ही रह गई ....
जाने वाले चले गये और हम वक़्त के ...
हातो मजबूर सिर्फ अफ़सोस करते रह गये ...


श्रुति  मेहेंदले  8th नवम्बर  2009
this is for You Antaa kaka.....
my uncle who passed away on 7th Nov 2009

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