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Tuesday, November 3, 2009

कैसे कहू.....

कैसे कहू कि खुदा कि रहमत है .... 
जो मरी तुमसे मुलाकात हुई ...


कैसे कहू कि ये इत्तफाक एक दुआ है ...
जो कबूल की हो खुदा ने ...  


कैसे कहू कि तेरा मेरा यू मिलना और...
फिर ये अपनापन का अहसास .. 


कैसे कहू कि तुमको बेइंतिहा चाहना ... 
ये वो जज़्बात है जो मेरे बस में नहीं ... 


कैसे कहू कि ये बात भी उतनी ही सच है कि ... 
इस जज़्बात से सब वाकिफ नहीं ....


कैसे कहू कि मै खुशनसीब हु जो तुमने...
इन एहसासों से रूबरू है मुझको किया .....


श्रुति मेहेंदले 27th अक्टूबर 2009


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