My Shelfari Bookshelf

Shelfari: Book reviews on your book blog

Wednesday, September 9, 2009

बस एक एहसास है जो......



जाने कैसे तुम से मुलाकात हुई और....... 

बस  एक  एहसास  है  जो,
अब  तो  दस्तक  दे  के  बस  गया  है,
जाने क्यों इस दिल में 

जाने कैसे तुमको ये दिल दे बैठे और....
बस  एक  एहसास  है  जो, 
अब  तो  मिटाए  ना  मिटे,
जाने क्यों इस दिल से 

जाने कैसे तुमसे एक कशिश सी  है और .........
बस  एक  एहसास  है  जो ,
अब  तो  समझाए  ना  समझे,
जाने क्यों इस दिल को  

जाने कैसे तुम में ज़िन्दगी उलझ सी गई है और.......
बस  एक  एहसास  है  जो ,
अब  इस  उलझन  में  भी  सुकून  है  पता ,
जाने क्यों इस दिल में 

श्रुति मेहेंदले  9th  सितम्बर 2009

No comments:

Welcome to Sentiments

When we connect to any one it is the Sentiments we have with each other that is reflected