खुले रखते है दिल के किवाड़ ....
चाहते है अपने प्यार को बसाना इसी दिल के घरोंदे में ....
भरोसा है उम्मीद पे, दुनिया इसी पे कायम है ....
ना जाने क्यों हम भी...
समज न पाते कि जिसको माना है प्यार ...
क्या वो बसायेगा बसेरा इस दिल के घरोंदे में ........
भरोसा है उम्मीद पे, दुनिया इसी पे कायम है ....
ना जाने क्यों हम भी..
चाहतो के पर लगाके उड़ते है जबकि हकीकत में..
मुमकिन नहीं सभी ख्वाहिशे पूरी होना फिर भी........
भरोसा है उम्मीद पे,दुनिया इसी पे कायम है ..
फिर मै तो एक छोटी सी जान हु......
मुमकिन नहीं सभी ख्वाहिशे पूरी होना फिर भी........
भरोसा है उम्मीद पे,दुनिया इसी पे कायम है ..
फिर मै तो एक छोटी सी जान हु......
श्रुति मेहेंदले 9th सितम्बर 2009
1 comment:
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति
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