
ज़िन्दगी भी एक कशमकश है पहेलियों की ...
जाने क्यों हर वक़्त इम्तिहान है लेती ....
ज़िन्दगी ना जाने क्यों है पहेलियों का पिटारा ..
कभी रिश्तो की अनचाही पहेली तो ...
कभी समाज के खोखले रिवाजों की पहेली....
ज़िन्दगी ना जाने क्यों अक्सर इम्तिहान है लेती ...
तुम भी एक पहेली हो मेरी ज़िन्दगी की ...
जान क्या तुम भी लोगे मेरा इम्तिहान ....
No comments:
Post a Comment