तुमसे जो ये रूह का रिश्ता है.....
उसे कोइ नाम दू......
ये ज़रुरी तो नहीं...
तुम से है महोबत्त....
इसे दुनिया को दिखाऊ....
ये ज़रुरी तो नहीं...
मेरे मन के आइने मे....
तुम्हरी तस्वीर बिल कुल साफ़ है....
किसी को दीखाऊ ....
ये ज़रूरी तो नहीं....
मेरा दिल क्या चाहे ....
तुम ये जान कर भी दीखाओ.....
ये ज़रुरी तो नहीं....
लेकिन इतना जरूर जानती हूँ ...
कि तुम अनजान नहीं हो ...
इस रूह के रिश्ती से ...
बस इसी बात का सुकून है ....
किसी को बताऊ ...
ये ज़रूरी तो नहीं ...
श्रुति मेहेंदले 19th में 2010
4 comments:
bahut hi badiya
wah bahot sunder.
very beautiful
Jo hai mere mann ki baat
Wohi ho usske bhi mann mei
Jaroori Toh nahi.
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