यही दुआ हर दुआ में मांगती हु ...
तुमसे जब मिले थे
तो सोचा ना था
की कोई अनजान रिश्ता
दिल से बन जाएगा
वक़्त के साथ
रिश्ता बढ़ता और गहरा भी हुआ
मैं जानती हु
ये रूह का ही
रिश्ता है
ज़िन्दगी के इतने उतार चढ़ाव
के बावजूद
दिल अब भी तेरी
ख़ुशी चाहे
तू सलामत रहे
यही दुआ हर
दुआ में मांगती हु
श्रुति मेहेंदले 17th सितम्बर 2012
Welcome to Sentiments
When we connect to any one it is the Sentiments we have with each other that is reflected
2 comments:
बहुत बेहतरीन रचना....
आपका हार्दिक स्वागत है।
बहुत दिनों बाद इतनी बढ़िया कविता
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