My Shelfari Bookshelf

Shelfari: Book reviews on your book blog

Monday, September 17, 2012

यही दुआ हर दुआ में मांगती हु ...



 तुमसे जब मिले थे 
तो सोचा ना था 
की कोई अनजान रिश्ता 
दिल से बन जाएगा 

वक़्त के साथ 
रिश्ता बढ़ता और गहरा भी हुआ 
मैं जानती हु 
ये रूह का ही 
रिश्ता है 


ज़िन्दगी के  इतने उतार चढ़ाव 
के बावजूद  
दिल अब भी तेरी 
ख़ुशी चाहे 

तू सलामत रहे 
यही दुआ हर 
दुआ में मांगती हु 


श्रुति मेहेंदले 17th सितम्बर 2012


2 comments:

संजय भास्‍कर said...

बहुत बेहतरीन रचना....
आपका हार्दिक स्वागत है।

संजय भास्‍कर said...

बहुत दिनों बाद इतनी बढ़िया कविता

Welcome to Sentiments

When we connect to any one it is the Sentiments we have with each other that is reflected