तुमसे है मेरा रूह का रिश्ता ....
तुम इस बात से इतफ्फक ना भी रखो ...
तो भी इस बात को झुटला नहीं सकते ...
रूह ने रूह को है पहचाना ...
तुमको पाना ये खवहिश नहीं मेरी ...
बस तुमसे एक रूहानी रिश्ता है ..
जाने क्यों इन दूरियों ने भी ...
लेना चाहा इम्तिहान फिर भी ...
बस एक कशिश सी है तुमसे ....
जाने कबसे है ये सिलसिले चाहत के ...
जो न ले मिटने का नाम ...
अब तो बस यही है दुआ ...
बना राहे ये खूबसूरत रूह का रिश्ता ...
फिर ना टूट ये डोर दिलो कि ...
चाहे हो दूरिया दरमिया हमारे ..
पर मन में न हो फासले हमारे ....
तुमको पाना ये खवहिश नहीं मेरी ...
बस तुमसे एक रूहानी रिश्ता है ..
जाने क्यों इन दूरियों ने भी ...
लेना चाहा इम्तिहान फिर भी ...
बस एक कशिश सी है तुमसे ....
जाने कबसे है ये सिलसिले चाहत के ...
जो न ले मिटने का नाम ...
अब तो बस यही है दुआ ...
बना राहे ये खूबसूरत रूह का रिश्ता ...
फिर ना टूट ये डोर दिलो कि ...
चाहे हो दूरिया दरमिया हमारे ..
पर मन में न हो फासले हमारे ....
श्रुति मेहेंदले 14th जनुअरी 2010
1 comment:
Cant read the contents till date - how to transliterate!!!!?
Post a Comment