समय के साथ कहते है ....
तस्वीर कुछ धुन्दला जाती है..
कुछ अनजाने डर के साथ ....
मैंने मन के झरोके में झाका ....
जहा सहेज के राखी है ..
तुम्हारी तस्वीर ...
तो अब भी तुम्हारी साफ़ ...
तस्वीर ने पलट के देखा .....
मानो पूछ रही हो ...
क्या यकी नहीं .....
अपने प्यार पे ...
कुछ न कह सकी ...
बस एक टक निहारती रही ...
तुम्हारी तस्वीर ...
श्रुति मेहेंदले 16th जनुअरी 2010
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