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Sunday, January 17, 2010

दे रही है दस्तक खुशिया ...




इंतज़ार किसी अपने का ..
क्यों देता है सुकून ..
 कही किसी कोने में...
इस मन के ..
अब भी है यकीन ...
आएगे वो कदम लौट के ...
 खुले है अब भी...
 मन के द्वार ...
 दे रही है दस्तक खुशिया ....
सुन के उन कदमो कि आहट ...


श्रुति मेहेंदले 14th जनुअरी 2010

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Welcome to Sentiments

When we connect to any one it is the Sentiments we have with each other that is reflected