क्यों देता है सुकून ..
कही किसी कोने में...
इस मन के ..
इस मन के ..
अब भी है यकीन ...
आएगे वो कदम लौट के ...
खुले है अब भी...
मन के द्वार ...
खुले है अब भी...
मन के द्वार ...
दे रही है दस्तक खुशिया ....
सुन के उन कदमो कि आहट ...
श्रुति मेहेंदले 14th जनुअरी 2010
श्रुति मेहेंदले 14th जनुअरी 2010

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