My Shelfari Bookshelf

Shelfari: Book reviews on your book blog

Sunday, February 28, 2010

ये तो बस तुमको है चाहे ..



चाहत ने भी ....
अपनी चाहत पे कर यकी  .....
बेहिसाब चाहत है तुमसे की ....
मेरी चाहत न जाने ....
क्या है ज़रूरी या फिर क्या है मजबूरी ...
ये तो बस तुमको है चाहे ...

लोग जाने क्यों....
फिर भी है कहते ....
ना चाहो इतना किसी को .....
की तुम्हारी चाहत....
बन जाये तुम्हारी मजबूरी ....
पर चाहो इतना किसी को .....
की तुम्हारी चाहत बन जाये ...
ज़रूरी उसके लिय......

श्रुति मेहेंदले 28th फरवरी 2010


Monday, February 15, 2010

रूह का रिश्ता......


ज़िन्दगी में तुम ....
युही कभी कभी ....
दस्तक दे दिया करो ....
कुछ अनजानी सी ख़ुशी  ...
जुडी है तुमसे ...
जो रूह तक को ...
सुकून दे जाती है  ...
ये मै भी न जान सकी क्यों ...
लकिन इतना यकी है ...
कि तुम से एक अजीब सा रिश्ता है...
जो हमारी रूह को है जोड़ता ...

श्रुति मेहेंदले 14th फरवरी 2010

Friday, February 12, 2010

आपको देखे अर्सा बीत गये....



आपको देखे अर्सा बीत गये....
आस का दीपक टिमटिमा रहा....
इस जुस्तजु मे कि ....
जाने कब होगा दीदार .....
हमे तो अब भी उस दिन.....
उस पल का है इंतज़ार.....
जब तुम से फ़िर होगी मुलाकत....
हकीकत तो ये है कि ....
हम तो आप कि खुशी मे है खुश....
लेकिन गम तो इस बात का है....
तुम मेरे दिल कि ....
छोटी छोटी खुशीयो को ....
नहीं समझ सके ...
मुझें कल भी इंतज़ार था....
आज भी है ...
मै ज़िंदगी के उसी मुका पे खडी हूँ....
जहा से तुम...

 अकेले ही सफ़र पे निकल पड़े
और मै चाह कर भी...

 तुम तक नहीं पहुँच पा रही ....


श्रुति  मेहेंदले 12th फरवरी 2010 

कुछ लम्हे कि जुस्तजू में ....




दिल मे है दर्द का गुबार...
 होटो पे हसी ...
माना की ज़िंदगी की राहे है जुदा ...
पर रुह ने तो रुह को है पेह्चाना.... 
तभी तो एक चाहत के एहसास ने पनाह ली... 
हम तो तभी से जी रहे है तुम्हारे लिए ..
हमने तो चाहा हर लाम्हा कर दे तुम्हरे नाम...
तुम इस बात से अनजान नहीं ....
वो भी वक़्त था ...
जब तुम्हारा हर मुमकिन लम्हा था ...
हम दोनों का ...
न जाने क्या बात हुई की तुम अब....
कुछ लम्हा भी नहीं कर सकते...
हम दोनों के नाम ..
जानती हु की हर वक़्त एक सा नहीं होता ...
हम मिल के भी...
मिल न सके इस बात का गम नहीं...
गम इस बात का है की...
तुम रूह की तड़प को जानते हुए भी...
अनजाने हो ... . 
वफ़ा की बात तो छोडो...
हम तो सदियो से कर रहे इंतज़ार...
अब तो आस सिर्फ खुदा तुज़ः से ही है...
कुछ इनायत हमारी इन रुहों पर भी कर दो .. 


श्रुति मेहेंदले 12th फरवरी 2010

Friday, February 5, 2010

फिर एक और ज़िन्दगी तनहा गुज़ारने को .....

कैसे....
उन लफ्जों को....
बया करू .... 
कि तुमतक.....
ये दिल कि बात ....
पहुँच सके .... 
तुम अपनेआप में....
इतने सिमट गये कि .....
चाह कर भी तुम तक.... 
मेरे दिल कि आवाज़ ....
नहीं पहुँचती...  
कितनी शिदत से...
है तुमको चाहते .... 
कि अपनेआप को....
मिटा कर भी ...
रखा है....
जिंदा खुदही को ....
सिर्फ इसलिये की .....
एक वादा.....
तुमसे भी किया था कि ...
चाहे कितना भी....
दर्द समेटना पड़े....
तुम्हारे....
इश्क में ..... 
उफ़ तक न करेगे .....
अब तो सिर्फ ...
एक इनायत ...
इस तनहा रूह पे कर ए खुदा... 
कि तुमसे फिर एक मुलाकात हो ....
और झाक सकू.....
उन आखों में ....
फिर एक बार ....
और समेट लू कुछ यादे ...
इस दिल के कोने में ...
फिर एक और ज़िन्दगी...
तनहा गुज़ारने को ....


श्रुति मेहेंदले 5th फ़रवरी 2010


Welcome to Sentiments

When we connect to any one it is the Sentiments we have with each other that is reflected