ज़िन्दगी के किसी मोड़ पे....
ज़िन्दगी के किसी मोड़ पे....
मिले तो अजनबी की तरह....
चार कदम भी नहीं चले थे ....
बस कुछ पल ही साथ गुज़ार पाए थे....
की अचानक एक दिन लगा ....
की कोई अपना था जो खो गया ....
लगता है जैसे कोई अपना बिछड गया है....
श्रुति मेहेंदले 14th में 2012
Welcome to Sentiments
When we connect to any one it is the Sentiments we have with each other that is reflected
2 comments:
bichadna kisse hai pyara..ek saathi hi to hai zindagi ka sahara..us sath ki koi kimat nahi..us saath ki to ibadat mein khud khuda bhi shamil hai..chalte chalte safar ke saath jude do dil hai
बहुत नाजुक और दिल छु लेनेवाली पंक्तियाँ
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